- Amritansh Singh
ख्वाब
सच तो यूं है,
चांद चुने की तमन्ना की,
बादलों को ज़मीन पर मांगा,
फूलों को चाहा कि उगे पत्थरों पर.....
इच्छाएं अनंत थी, सपनो के रथ पर जो सवार थे...
उम्मीद थी, की वापस जाना होगा जल्द,
उन रास्तों में,
जो ज़रा अनजान थे एक समय,
आज वही घर सी याद दिला रहे थे।

मगर कसूर ये मेरा जो, ख्वाब मैंने देखा,
चाहा सब सच होजाए,
सज़ा तो इसकी मिलनी थी......